बुधवार, 21 मार्च 2018

दश महाविद्या


आज प्रयास करते हैं दश महावियाओं के रूप गुणादि के विषय में समझने का | इन सभी महाविद्याओं को दो कुलों में विभाजित किया गया है – काली कुल और श्री कुल | काली कुल में महाकाली, तारा, छिन्नमस्ता तथा भुवनेश्वरी आती हैं तथा ये सभी उग्र स्वभाव की हैं | त्रिपुरसुन्दरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला श्रीकुल की देवियाँ हैं तथा स्वभाव से सौम्य हैं | गृहस्थ लोगों को तान्त्रिक उपासना नहीं करनी चाहिए | क्योंकि तनिक सी भी चूक घातक हो सकती है | किन्तु वे लोग यदि चाहें तो महाविद्याओं के सौम्य रूपों का जाप कर सकते हैं |
दशमहाविद्याएँ सभी की रक्षा करें तथा समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण करें...
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मंगलवार, 20 मार्च 2018

कूष्माण्डेति चतुर्थकम्


कल चतुर्थ नवरात्र है - चतुर्थी तिथि – माँ भगवती के कूष्माण्डा रूप की उपासना का दिन | इस दिन कूष्माण्डा देवी की पूजा अर्चना इस दिन की जाती है | यह सृष्टि की आदिस्वरूपा आदिशक्ति है | इसका निवास सूर्यमण्डल के भीतरी भाग में माना जाता है | अतः इनके शरीर की कान्ति भी सूर्य के ही सामान दैदीप्यमान और भास्वर है |
कुत्सितः ऊष्मा कूष्मा – त्रिविधतापयुतः संसारः, स अण्डे मांसपेश्यामुदररूपायां यस्याः स कूष्माण्डा – अर्थात् त्रिविध तापयुक्त संसार जिनके उदर में स्थित है वे देवी कूष्माण्डा कहलाती हैं | इस रूप में देवी के आठ हाथ माने जाते हैं | इनके हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमलपुष्प, सुरापात्र, चक्र, जपमाला और गदा दिखाई देते हैं | यह रूप देवी का आह्लादकारी रूप है और माना जाता है कि जब कूष्माण्डा देवी आह्लादित होती हैं तो समस्त प्रकार के दुःख और कष्ट के अन्धकार दूर हो जाते हैं | क्योंकि यह रूप कष्ट से आह्लाद की ओर ले जाने वाला रूप है, अर्थात् विनाश से नवनिर्माण की ओर ले जाने वाल रूप, अतः यही रूप सृष्टि के आरम्भ अथवा पुनर्निर्माण की ओर ले जाने वाला रूप माना जाता है |
माना जाता है कि भगवती का यह रूप सूर्य के सामान तेजवान तथा प्रकाशवान है और सम्भवतः इसीलिए ऐसी भी मान्यता है कि सूर्य से सम्बन्धित दोषों के निवारण हेतु कूष्माण्डा देवी की उपासना करनी चाहिए | कूष्माण्डा देवी की उपासना के लिए मन्त्र है:
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च ।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता ।
करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः ।।
इसके अतिरिक्त ऐं ह्रीं देव्यै नमः” कूष्माण्डा देवी के इस बीज मन्त्र के जाप के साथ भी देवी के इस रूप की उपासना की जा सकती है |
समस्त देवताओं ने जिनकी उपासना की वे देवी कूष्माण्डा के रूप में सबके सारे कष्ट दूर कर हम सबका शुभ करें...